तंत्र विधि द्वारा
साधक ध्यानमग्न होकर संपूर्ण शरीर को स्थिर करके अतुल गहराई तक पहुंचकर परम सुख
प्राप्त करता है लेकिन लोकप्रियता हठयोग को मिली है। हठयोग का अर्थ
है-बलपूर्वकयोग। इसमें रेचक, पूरक, नेती, धौति और कुंभक के द्वारा मन पर अधिकार किया जाता है। हठयोग ने दुनिया में
कई चमत्कारिक क्रियाओं को जन्म दिया है। शैव एवं शाक्त मत के योगी हठयोग द्वारा
अपने अभीष्ट को पा लेने की क्षमता रखते थे। राजयोग का दायरा सीमित था क्योंकि
सनातन धर्म में विश्वास करने वाले योगमार्गी ही इसके पीछे अपनी साधना को परवान
चढ़ाते थे। समाधि में जाने के लिए तंत्र साधना का सहारा लेना ही पड़ता था।